तुम जाे भी कर रहे हाे वही तुम्हारा ध्यान है

04 Aug 2025 12:08:12
 

Osho 
 
कबीर ज्ञान काे भी उपलब्ध हाे गए ताे भी कपड़ा बुनते रहे. जुलाहापन उन्हाेंने छाेड़ा नहीं. किसी ने पूछा कि अब ताे आप बंद करें. कभी सुना नहीं कि काेई बुद्धपुरुष और कपड़े बुनता रहा और जुलाहा बना रहा और बाजार में कपड़े बेचने जाता रहा. अब ताे छाेड़ाे. लेकिन कहते हैं, कबीर ने कहा, इसी कपड़े के बुनने ने ताे मुझे परमात्मा से मिलाया. इसे कैसे छाेड़ दूं? यह मेरी प्रार्थना यह मेरी पूजा. यह मेरी अर्चना.‘झीनी झीनी बीनी रे चदरिया.’ वह जुलाहे का गीत है. काेई और दूसरे ताे गा नहीं सकता. बुद्ध कैसे गाएंगे? बुद्ध ने कभी चदरिया बीनी नहीं. उन्हें कुछ पता भी नहीं. महावीर कैसे गाएंगे. चदरिया थी, वह भी छाेड़ दी! उनसे ताे पूछाे कैसी छाेड़ी रे चदरिया, ताे बता सकते हैं.लेकिन कबीर ने बुन-बुन कर पाया.
 
वे ताने-बाने चादर के बुनते बुनते उनका ध्यान फला. वहीं रसविमुग्हुए. पर कैसे पाया उन्हाेंने? क्योंकि हमें बुद्ध की बात समझ में आ जाती है कि दूर बाेधिवृक्ष के नीचे ध्यान में बैठे हुए हैं. कि महावीर वनाें में, पर्वताें में, एकांत में, बारह वर्ष माैन में खड़े हुए.कबीर...कबीर कपड़ा बुन-बुनकर पा लिए. रस से बुना हाेगा. कबीर कहते थे, राम के लिए बुन रहा हूं. सभी ग्राहकाें में राम देखते थे. जब अपना कपड़ा बुनकर और काशी के बाजार में बेचने जाते,काेई मिल जाता रास्ते में और कहता, कहां जा रहे हाे? ताे वे कहते, राम आए हाेंगे. उनकाे जरूरत है, कपड़ा बुनकर लाया हूं. बड़ा बढ़िया बुना है. राम काे देने जा रहा हूं. जब काेई ग्राहक उनसे कपड़ा खरीदता ताे वे कहते, सम्हालकर रखना राम. बड़ी मेहनत से बुना है. बड़े रस से बुना है.
 
कपड़ा ही नहीं है, पीढ़ी दर पीढ़ी चले ऐसी मजबूती से बुना है. अपने प्राण उंड़ेले हैं. ताे जिसकाे ग्राहक में राम दिखाई पड़े, अब उसे किसी बाेधिवृक्ष के नीचे जाने की जरूरत न रही.सभी लाेग बाेधिवृक्ष के नीचे जा भी नहीं सकते. और अच्छा है कि जाते नहीं; नहीं ताे झंझट खड़ी हाे जाए. एकाध बुद्ध बाेधिवृक्ष के नीचे बैठता है, चलता है. एकाध महावीर माैन खड़ा हाे जाता है, चलता है. लेकिन सभी ऐसे खड़े हाे जाएं ताे जीवन बड़ा विरस हाे जाएगा.अधिक काे ताे कबीर जैसा हाेना पड़ेगा.अधिक काे ताे गाेरा जैसा हाेना पड़ेगा.
गाेरा कुम्हारा बस घड़े बनाता रहा. और घड़े बनाते-बनाते खुद काे भी बना लिया. रैदास जूते सीते-सीते, जूते बनाते-बनाते पहुंच गए. ताे तुम जाे कर रहे हाे उसमें रस डालाें. उंड़ेलाे रस.वही तुम्हारा भजन, वही तुम्हारा ध्यान अगर तुम्हारी सारी चेष्टाएं असफल हाे जाएं ताे फिर साहस कराे. ताे फिर तुम गलत जगह हाे. तुम कुछ ऐसी जगह बहने की काेशिश कर रहे हाे, जाे चढ़ाव पर है.
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