टैरिफ-वॉर से सोने में सुरक्षित निवेश के लिए रुचि बढ़ी

09 Aug 2025 14:17:04
 
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पुणे, 8 अगस्त (स्वप्निल बापट द्वारा)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 70 देशों पर 10 से 50 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगा दिया है. इसका क्रियान्वयन अब शुरू हो गया है. ऐसे में देश-विदेश की अर्थव्यवस्थाओं में एक अजीब सी बेचैनी है. इसलिए निवेशक अब सुरक्षित निवेश जैसे सोना-चांदी आदि की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में सोने की मांग बढ़ने से सोना 1 लाख रुपये के पार पहुंच गया है. पिछले एक हफ्ते में सोने की कीमत में लगभग 2,500 रुपये प्रति 10 ग्राम की बढ़ोतरी हुई है. वहीं पुणे के उपभोक्ताओं को 10 ग्राम सोना खरीदने के लिए 1 लाख 4 हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. चांदी की कीमत भी अब तक के अपने उच्चतम स्तर यानी 1 लाख 15 हजार रुपये प्रति किलोग्राम पर है. विश्लेषक संभावना जता रहे हैं कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है. भविष्य की अनिश्चितता के चलते भारतीय वायदा बाजार में अक्टूबर महीने के लिए सोने का भाव गुरुवार को 893 रुपये यानी 0.88 प्रतिशत बढ़कर 1 लाख 2 हजार 155 रुपये प्रति दस ग्राम हो गया. वायदा बाजार में चांदी का भाव 1.32 प्रतिशत यानी 1,503 रुपये बढ़कर 1 लाख 13 हजार 158 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया. वैेिशक बाजार में सोने का भाव 10 प्रतिशत की भारी वृद्धि के साथ 3,380 डॉलर प्रति औंस और चांदी का भाव 1.5 प्रतिशत बढ़कर 38.40 डॉलर प्रति औंस के आसपास पहुंचा है. विश्लेषक बताते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से न केवल अमेरिका में बल्कि वैेिशक स्तर पर भी महंगाई बढ़ने की आशंका है. ऐसे में निवेशक खुद को महंगाई से बचाने के लिए सोने-चांदी के साथ-साथ क्रिप्टोकरेंसी और अन्य कमोडिटीज भी खरीद रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि ने भारत के 30 प्रतिशत सर्राफा निर्यात को खतरे में डाल दिया है. रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने मांग की है कि सरकार इससे होने वाले नुकसान की गंभीरता को कम करने के लिए नीतिगत सुधार करे. अमेरिकी बाजार भारतीय आभूषण उद्योग के लिए एक बड़ा बाजार है. जीजेईपीसी के अध्यक्ष किरीट भंसाली के अनुसार, भारत अमेरिका को 10 अरब डॉलर मूल्य के आभूषण, हीरे और कीमती पत्थरों का निर्यात करता है. यह भारत के कुल सर्राफा निर्यात का 30 प्रतिशत है. अमेरिकी टैरिफ वृद्धि का सर्राफा बाजार की आपूर्ति श्रृंखला पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. परिणामस्वरूप, हजारों नौकरियां भी खतरे में पड़ जाएंगी. जीजेईपीसी के अध्यक्ष भंसाली ने टैरिफ कम करके और वित्तीय सहायता प्रदान करके उद्योग की मदद करने की मांग की है. विश्लेषक मानते हैं कि पहले वैेिशक मुद्रा अमेरिकी डॉलर थी, लेकिन अब दुनिया भर के सभी प्रमुख बैंक सोना खरीद रहे हैं. डॉलर पर निर्भरता कम करने का विचार पूरी दुनिया में चल रहा है. जैसे- जैसे अर्थव्यवस्थाएं धीमी हो रही है, सोना और भी मजबूत होता जा रहा है. जीजेईपीसी का कहना है पॉलिश किए हुए हीरों के कुल निर्यात में आधे से अयादा हिस्सा अमेरिका का है. सांताक्रूज इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र विशेष आर्थिक क्षेत्र से बड़ी मात्रा में कीमती पत्थरों का निर्यात होता है. इससे यहां के उद्योग पर निर्भर 50 हजार नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी. इसमें कारीगरों से लेकर निर्यातकों तक, उद्योग श्रृंखला के सभी तत्व प्रभावित होंगे. आभूषण उद्योग में हमसे प्रतिस्पर्धा करने वाले तुर्की, वियतनाम और थाईलैंड पर क्रमशः 15, 20 और 19 प्रतिशत कर लगता है. इसलिए, उनके उत्पाद अमेरिका में कम कीमत पर बिक सकते हैं. भारत को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. अमेरिका को सबसे अयादा निर्यात करने वाले देश के रूप में हमारी स्थिति ख़तरे में पड़ जाएगी.  
 
लोग लाइटवेट के आभूषणों की ओर रुख़ करेंगे सोने की कीमतों में उछाल का मुख्य कारण मौजूदा भू-राजनीतिक अनिश्चितता है. परंपरागत रूप से, सोने को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, यही वजह है कि निवेशक अनिश्चितता के समय में सोने पर निर्भर रहते हैं. केंद्रीय बैंकों द्वारा खरीदारी की जा रही है और रुपये में अपेक्षाकृत कमजोरी के साथ मुद्रा में उतार-चढ़ाव हो रहा है. इन सभी कारकों ने मिलकर कीमतों को बढ़ा दिया है. साथ ही, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है, और लोग ऐसा होने पर सोने में निवेश करने के लिए तैयार हो रहे हैं.हाल ही में लगाए गए टैरिफ ने भी बाजार की अनिश्चितता को बढ़ावा दिया है.अब एकमात्र निश्चितता सोने की कीमतों में बढ़ोतरी है, जिससे और अधिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा. कीमतों में अस्थायी सुधार हो सकता है, लेकिन व्यापक दृष्टिकोण तेजी का बना हुआ है. यूक्रेन युद्ध की संभावना बढ़ गई है और टैरिफ लगाने के प्रभाव पहले से ही दिखाई दे रहे हैं. जहां तक दिवाली और शादियों के त्यौहारी सीजन की बात है, सोने की उच्च मांग वाले भारतीय बाजार में, हमें सोने की मात्रा में मामूली गिरावट के साथ मिश्रित प्रभाव की उम्मीद है. लोग लाइटवेट के आभूषणों की ओर रुख़ करेंगे. वैल्यूएशन तो रहेगा, लेकिन क्वांटिटी प्रभावित होगी. सोने की ऊंची कीमतों के कारण, लोग 18 कैरेट सोने के आभूषणों की ओर रुख़ करने लगे हैं. कई जौहरी इस शुद्धता के आभूषण रखने लगे हैं, और बिक्री धीरे-धीरे बढ़ने लगी है.

- सुरेश कृष्णन, उपाध्यक्ष-बिक्री, पीएनजी ज्वेलस  
 

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 रेट के हर स्तर पर सोना खरीदते रहना चाहिए

दुनिया भर के विश्लेषकों और विद्वानों का मानना है कि अगले तीन वर्षों में यह कीमत 5,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है. एक बहुत ही सरल गणना ऐसी है कि वर्तमान में सोने की कीमत 3,400 डॉलर प्रति औंस है, भारत में सोने की कीमत 1 लाख रुपये के पार पहुंच गई है. संभावना के अनुसार अगले तीन से पांच सालों में सोने की कीमत 3,400 डॉलर में और 1,600 डॉलर बढ़ जाती है, मतलब 5,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच जाती है, तो तो भारतीय बाजार में सोने की कीमत 1.5 से 2 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच सकती है. ऐसे में, मैं यही कहूंगी कि लोगों को सोना खरीदते रहना चाहिए. अगर आप बुलियन खरीदते हैं, तो वह बैंक में रहेगा और अगर आप आभूषण खरीदते हैं, तो घर की लक्ष्मी उसे पहनकर प्रसन्न होंगी. अगर गृहलक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, तो आपका धन और बढ़ेगा. आप इसे किसी भी रूप में खरीद सकते हैं, लेकिन आपको सोना खरीदते रहना चाहिए क्योंकि भविष्य में इसकी कीमत में बहुत वृद्धि होने की संभावना है. अगर आप आभूषण खरीदते हैं, तो घर में एक संपत्ति बनती है, आपको त्यौहारों और समारोहों में आभूषण पहनने का संतोष मिलता है और उसका मूल्य भी बढ़ता रहता है. बुलियन पर कोई मेकिंग चार्ज नहीं लगता. यह एक शुद्ध निवेश है. लेकिन, हर फॉर्मेट के कुछ फायदे-नुकसान होते हैं. मैं कहूंगी कि भविष्य को देखते हुए, आपको हर महीने थोडा-बहुत सोना खरीदना चाहिए. कई ज्वेलर्स के पास अब डिजिटल ऐप भी हैं. इसलिए मेरी सलाह यही होगी कि चाहे 2 हजार रुपये हों या 5 हजार रुपये, आपको उतना सोना खरीदकर रखना चाहिए.
- संगीता ललवाणी, निदेशक, गोल्ड मार्ट
 

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सोने में 98 हजार रुपये का एक बेंचमार्क बन सकता है
 
भारत में सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण रुपये का कमजोर होना है. हालांकि अभी यह निश्चित रूप से कहना संभव नहीं है कि यह प्रभाव अस्थायी है या दीर्घकालिक, लेकिन ऐसा लगता है कि सोने की कीमतें ऊंची बनी रहेंगी. कीमतों में बढ़ोतरी का नतीजा यह होगा कि आभूषणों की खरीदारी कम हो जाएगी. क्योंकि, अगर इतनी अस्थिरता है, तो ग्राहक थोड़ा इंतजार करते हैं. जब तक कीमतें स्थिर नहीं हो जातीं, ग्राहक खरीदारी नहीं करते. जैसे-जैसे कीमतें बढ़ रही हैं, लोगों का सोने पर भरोसा बढ़ रहा है. लोगों के पास मौजूद सोने का मूल्य बढ़ रहा है. इसलिए उन्हें यह एक सुरक्षित निवेश लगता है. बुलियन की खरीदारी जारी है. लेकिन, ऐसा लगता है कि आभूषणों की खरीदारी थोड़ी धीमी हो जाएगी. आने वाले समय में सोने की कीमत में अमेरिका की भूमिका बहुत अहम होगी. वहां क्या बदलाव होते हैं, वहां नीतियां कैसे तय होती हैं, क्या कोई समझौता होता है..? ये और कई अन्य सवाल ग्राहकों के मन में हैं. कुछ निवेशक भी इसका इंतजार कर रहे हैं. इसलिए, अगले कुछ दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी. लेकिन, अगर हम लंबे समय के बारे में सोचें, तो सोने की कीमत ऊंची रहने की संभावना है. ग्राहकों को भी इस समय खरीदारी करते रहना चाहिए. पहले कहा जा रहा था कि अगर कुछ करेक्शन हुआ तो सोने की कीमत 92 या 93 हजार तक गिर सकती है. लेकिन, अब लग रहा है कि अगर कीमत घटती भी है तो 98 हजार से नीचे नहीं जाएगी. यानी 98 हजार का एक बेंचमार्क बन सकता है.

- वास्तुपाल रांका, निदेशक, रांका ज्वेलर्स, कर्वे रोड  
 

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ग्राहकों की जेब पर बोझ बढ़ेगा

(गुरुवार 7 अगस्त 2025 के भाव)
सोना - 1,00,800+3 प्रतिशत जीएसटी = 1,03,825 (10 ग्राम)
चांदी - 1,15,000+3 प्रतिशत जीएसटी = 1,118,450 (एक किलो)
 
 
पछले कुछ दिनों के भाव -

(सोना प्रति 10 ग्राम और चांदी प्रति किलोग्राम रुपये)
दिनांक सोना चांदी
31 जुलाई 98,300 1,12,400
2 अगस्त 99,500 1,11,600
5 अगस्त 99,800 1,13,300
6 अगस्त 1,00,500 1,13,300
7 अगस्त 1,00,800 1,15,000
  
इस उद्योग के बारे में अधिक जानकारी
-वर्तमान में, घरेलू बाजार 85 अरब डॉलर का है. अगले दो वर्षों में इसके 130 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है.
विशेष रूप से हीरा बाजार तेजी से बढ़ रहा है. संगठन के माध्यम से विदेशी बाजारों में विस्तार के प्रयास किए जा रहे हैं.
-सऊदी अरब आभूषण प्रदर्शनी के माध्यम से एक नया कदम उठाया जा रहा है. वर्तमान स्थिति में, सरकार को भी नीतिगत बदलाव करके इस उद्योग का समर्थन करना चाहिए.
भाव बढ़ने के कुछ प्रमुख कारण

-दरों में बढ़ोतरी का मौजूदा कारण अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का फैसला प्रतीत होता है.
-भू-राजनीतिक अशांति बढ़ने से संस्थागत निवेशकों द्वारा सोने में निवेश बढ़ा है.
-मौजूदा अस्थिर माहौल के कारण शेयर बाजार में थोड़ी मंदी आने का डर है. कारोबार में मंदी, निर्यात में कमी की आशंका भी है.
-अमेरिकी डॉलर थोड़ा कमजोर हुआ है. चूंकि फेड द्वारा दरों में कटौती की उम्मीद है, इसलिए सोने की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद है.
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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