युवाओं की बगावत के चलते नेपाल में तख्तापलट की अशंका काे बढ़ा दिया है.प्रधानमंत्री ओली के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पाैडाले ने भी मंगलवार काे इस्तीफा दे दिया.हालांकि कुछ खबराें में बताया गया है कि राष्ट्रपति ने इस्तीफा नहीं दिया है. दूसरे दिन भी भारी हिंसा के दाैरान राष्ट्रपति, गृहमंत्री के घर जलाए और मंत्रियाें काे दाैड़ा-दाैड़ाकर मारा गया. पूर्व पीएम की पत्नी काे जिंदा जला दिया. उनकी माैत हाे गई.इसके अलावा संसद में भी आग लगाई गई. गुस्साए आंदाेलनकारियाें ने सुप्रीम काेर्ट में ताेड़फाेड़ की और साथ ही कई पुलिस स्टेशनाें काे भी फूंक डाला.पीएम ओली सहित कई मंत्री नेपाल छाेड़ने की तैयारी में.पटाई के बाद ज्यादातर मंत्री भूमिगत हाे गए.
प्रदर्शनकारियाें ने ‘ओली चाेर गद्दी छाेड़’ के नारे भी लगाए. प्रदर्शनकारियाें ने कहा-भ्रष्टाचारी नेताओं के बच्चे विदेशाें में पढ़ रहे हैं और हमारे बच्चाें का भविष्य अंधकार में लटका हुआ है. नेपाल में बिगड़ते हालात पर भारत की बारीक नजर लगी हुई है. नेपाल के लिए सारी उड़ानें रद्द कर दी गईं. भारतीयाें से सावधान रहने के लिए एडवाइजरी जारी की गई. नेपाल में हिंसक प्रदर्शनाें से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. प्रदर्शनकारी ने संसद भवन में आग लगा दी. इसके अलावा, पीएम ओली, राष्ट्रपति, गृहमंत्री के निजी आवास पर ताेड़फाेड़ के बाद आगजनी की.प्रदर्शनकारियाें ने पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा काे घर में घुसकर मारपीट की. वहीं, वित्तमंत्री विष्णु पाेडाैल काे काठमांडू में उनके घर के नजदीक दाैड़ा-दाैड़ाकर पीटा.
इसका वीडियाे वायरल हाे रहा है. इसमें एक प्रदर्शनकारी उनके सीने पर लात मारता दिख रहा है. इन हिंसक घटनाओं के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है.उन्हें सेना हेलिकाॅप्टर से अज्ञात स्थान पर ले गई है. इस हिंसा में अब तक 24 लाेग मारे जा चुके हैं, जबकि 400 से ज्यादा लाेग घायल हैं. प्रदर्शनकारियाें ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, शेर बहादुर देउबा और संचारमंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के निजी आवासाें काे भी आग के हवाले कर दिया. नेपाल के स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्री प्रदीप पाैडेल ने जेनरेशन जेड के विराेध प्रदर्शनाें से निपटने के सरकार के तरीके पर अपनी असहमति जताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. एक फेसबुक पाेस्ट के जरिए अपने फैसले की घाेषणा करते हुए, पाैडेल ने लिखा कि युवा पीढ़ी ने सिर्फ सुशासन, जवाबदेही और न्याय की मांग की थी, लेकिन इसके बजाय उन्हें सरकारी दमन और गाेलीबारी का सामना करना पड़ा.