पुणे, 13 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
महिलाएं अब हर क्षेत्र में अपने दम पर कामयाबी हासिल कर रही हैं. चाहे वह संगीत का क्षेत्र हो, फैशन और बुटीक व्यवसाय हो, प्राइवेट कंपनियों का संचालन हो, या स्टाम्प पेपर और बचतगट का काम, हर महिला ने अपने हौसले, मेहनत और लगन से अपने लिए एक मुकाम बनाया है. प्रो. रेणु अग्रवाल ने दै. आज का आनंद के लिए कुछ महिलाओं से बातचीत की. जिन्होंने न सिर्फ अपने पेशे में सफलता पाई, बल्कि समाज और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखते हुए प्रेरणा का उदाहरण भी प्रस्तुत किया. उनकी कहानी बताती है कि कड़ी मेहनत, सकारात्मक सोच और आत्म-वेिशास किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कितनी महत्वपूर्ण है. प्रस्तुत है उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-
असफलता से बिल्कुल निराश न हों
मैं संगीत की कक्षा चलाती हूं और उसी के साथ भजन, सत्संग और महिला संगीत के प्रोग्राम भी करती हूं. मेरे प्रोग्राम ऑल ओवर इंडिया में होते हैं. संगीत क्षेत्र में काम करते-करते 15 से 20 साल हो गए हैं, लेकिन हर अनुभव अलग रहता है. गायन कला से हमें ज्यादा इन्कम नहीं मिलती; यह सिर्फ एक हॉबी की तरह किया जा सकता है. बिजनेस करते समय बहुत सारी समस्याएं आती हैं. कभी-कभी लोग ऑन-द-स्पॉट प्रोग्राम कैंसिल कर देते हैं, जिससे हमें परेशानी होती है. साथ ही, लोगों को यह पता नहीं होता कि जगह और क्राउड के हिसाब से साउंड सेट लगाना पड़ता है और उसी के अनुसार खर्च भी आता है. लेकिन लोग डेकोरेशन पर खर्च करेंगे, प्रोग्राम के लिए नहीं. सिंगिंग प्रोग्राम में कैरियर करना आसान नहीं है; इसमें बहुत अधिक कड़ी मेहनत करनी होती है. दूसरे लेडीज अगर इस क्षेत्र में आना चाहती हैं, तो मैं यही कहूंगी कि संगीत एक ऐसी कला है जो कुदरती देन है. इसके साथ कड़ी मेहनत और रियाज से ही सुर सही तरीके से लगते हैं. संगीत के ज्ञान के साथ हमें पब्लिक स्पीकिंग की भी आवश्यकता होती है कामयाब होने के लिए. मेरा मानना है कि हमें असफलता बहुत बार मिलती है, लेकिन असफलता से निराश न होकर सफलता के बारे में सोचेंगे तो हमें जशर कामयाबी मिलेगी.
- अनीता विजय अग्रवाल, बोटक्लब रोड, पुणे
काम ईमानदारी और लगन से करें
हमारी FIRENIX कंपनी है. हमारे पास सीसीटीवी, फायर अलार्म, लैपटॉप, डेस्कटॉप और प्रिंटर जैसी सभी चीजों की डिस्ट्रीब्यूटरशिप है. नया बिजनेस सेट करना आसान नहीं है, लेकिन हमारी अच्छी पहचान और प्राइवेट कंपनी होने की वजह से हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिला. मैं 2006 से इस कंपनी को संभाल रही हूं. हमारी दो शॉप हैं. एक नारायण पेठ में और दूसरी आकुर्डी में. बच्चे बड़े हो गए हैं, अब मैं अपने पति के साथ काम करती हूँ. इस प्रकार के बिजनेस में महिलाएं कम हैं. मेरा मानना है कि अगर हम अपना काम पूरी ईमानदारी और लगन से करेंगे, तो कारोबार कोई भी हो, सफलता जरूर मिलेगी.
अंजलि प्रदीप अग्रवाल, प्राधिकरण, पुणे
निगेटिव सोच बिजनेस के लिए खतरनाक
2012 से मैं लेडीज के हर तरह के कपड़ों के बिजनेस में कार्यरत हूं. अपने घर से ही मैं यह बिजनेस चलाती हूँ. हम अलग-अलग जगह लेडीज कपड़ों की एग्जीबिशन भी लगाते हैं. साल में कम से कम 25 एग्जीबिशन अलग-अलग जगहों पर होते ही हैं.डेली वेयर से लेकर पार्टी वेयर तक, हर तरह की लेडीज वेयर हमारे बुटिक में उपलब्ध होती है. जब हम बिजनेस के बहाने अलग-अलग लोगों से मिलते हैं, तो हमें बहुत सारी नई बातें सीखने को मिलती हैं. और जब भी हम एग्जीबिशन लगाते हैं, यह जरूरी नहीं कि हर बार आपका बिजनेस बढ़े, लेकिन हमें नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए. अगर पॉजिटिव सोचेंगे, तो एक न एक दिन हमें सफलता जरूर मिलेगी.मुझे दो बच्चे हैं. घर के साथ बिजनेस संभालने में मुझे ज्यादा कठिनाई नहीं होती क्योंकि मेरे घर के सदस्य हमेशा मेरा साथ निभाते हैं. मेरा कहना है कि महिलाओं को अपने कैरियर पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन साथ-साथ घर संभालना भी जरूरी है.
- नीलम राकेश अग्रवाल, वल्लभनगर, पिंपरी
महिलाएं स्वयं पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भर बनें
1996 से मैं स्टाम्प पेपर वेंडर हूँ. इसके साथ-साथ मैं आयुर्वेदिक प्रोडक्ट का मार्केटिंग भी करती हूँ और बीजेपी की कार्यकर्ता भी हूँ. पिछले 18 साल से मैं एक बचतगट चला रही हूँ, जिसमें केवल अग्रवाल और खंडेलवाल महिलाएं शामिल हैं. बचतगट के माध्यम से महिलाओं को छोटे-छोटे लोन भी हम देते रहते हैं. मुझे चार बच्चे हैं दो लड़के और दो लड़कियां चारों की शादी हो चुकी है. मेरी सास की उम्र भी ज्यादा है और वह बीमार रहती हैं, इस वजह से मुझे घर पर ज्यादा ध्यान देना होता है. लेकिन फिर भी मैं घर के साथ-साथ बाहर के सभी काम अच्छे से कर लेती हूं क्योंकि वक्त पर हर काम करना मेरी आदत है. मेरा यह अनुभव रहा है कि जब हम काम करते हैं, तो पीछे से लोग अनेक बातें करते हैं, लेकिन बाद में वे लोग ही हमें प्रोत्साहित करते हैं. महिलाओं से मैं इतना ही कहना चाहती हूं कि हर महिला को स्वयं के पैरों पर खड़े रहना चाहिए और कभी भी अपनी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.
- शकुंतला राजेंद्र अग्रवाल, देहूरोड
क्वालिटी पर ध्यान दें, मार्जिन कम रखकर बिजनेस करें
मैं पिंपरी में रहती हूं और घर से ही मिताली क्लोजेट नामक बुटीक पिछले 10 साल से चलाती हूं. कपड़ों का यह बिजनेस मेरी मां ने शुरू किया था, जिसे मैं आगे बढ़ा रही हूं. हमारे यहाँ मुंबई और कोलकाता के ड्रेस, साड़ियाँ तथा बेडशीट की अनेक वैरायटी उपलब्ध हैं. यह काम करते वक्त मुझे मेरे पति का साथ हमेशा मिलता है. किसी भी बिजनेस में प्रॉब्लम तो आती ही हैं. आजकल महिलाएं किसी और को अपने शॉपिंग शॉप के बारे में नहीं बताती हैं, जिस वजह से छोटे-छोटे बुटीक जो घर से ही चलते हैं, उसके बारे में किसी और को पता ही नहीं चलता. मार्केटिंग करना ऐसे में बड़ा मुश्किल हो जाता है. जो भी महिलाएं इस बिजनेस में आना चाहती हैं, उनसे मैं यही कहना चाहूंगी कि शुरू में कम मार्जिन रखकर ही अपना बिजनेस चलाएं और सबसे जरूरी है क्वालिटी पर ध्यान दें. अगर क्वालिटी अच्छी होगी, तो कस्टमर बार-बार आते हैं.
-पूनम संदीप अग्रवाल, अजमेरा, पिंपरी