जैन मेडिटेशन से अद्भुत लाभ...

16 Sep 2025 14:59:49

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सुजय गार्डन जैन संघ में चातुर्मास बिराजमान पू. जे. पी.गुरुदेव ने सोमवार (15 सितंबर) को 3D हाल में आयोजित जैन ध्यान साधना शिविर में बताया कि, आज के जमाने में ध्यान शब्द का अर्थ तीन स्वरुप में समझने जैसा है. नंबर एक - अपने परिवार का, बच्चों का, बुजुर्गों का ध्यान रखना अर्थात्‌‍ Carring Nature, नंबर दो - मैं तो सबका ध्यान रखता हूं कि, कौन क्या करता हैं, कहां आते हैं - कहां जाते हैं, किससे मिलते हैं, क्या खाते - पीते हैं? अर्थात्‌‍ CID nature और नंबर तीन - कुछ देर के लिए सब कुछ छोड़कर, सब कुछ भूलकर अपनेआप में लीन हो जाना यानी मैं और मेरी आत्मा, मेरी आत्मा और मेरे परमात्मा अर्थात्‌‍ अंतर ध्यान साधना - दिव्य ध्यान साधना... अध्यात्म के साथ जैन मेडिटेशन में अपने-आप को स्थापित करने का हमारा लक्ष्य होना चाहिए. पू. गुरुदेव ने ‌‘नाद मंत्र ध्यान साधना - 1' के माध्यम से 24 तीर्थंकर के ध्यान का, पंच परमेष्ठि के माध्यम से नमस्कार महामंत्र के ध्यान में लीन होकर अनंतकालीन वासना अर्थात अनगिनत इच्छाओं से मुक्त होने का मार्ग बताया, इच्छाओं की गुलामी से कैसे बाहर आ सके, यह मार्गदर्शन प्रदान किया, इच्छाओं की जंजीरों से कैसे छुटकारा प्राप्त हो इसके बारे में स्पष्ट दिशा- निर्देश दिया गया. ‌‘नाद मंत्र ध्यान साधना - 2' के माध्यम से परमात्मा के अचिंत्य प्रभाव का परिचय देते हुए चंडकौशिक सर्प के स्वभाव से क्रोध समाप्त, इंद्रभूति पंडित के स्वभाव से अभिमान का नाश... यह है प्रभु का दिव्य प्रभाव, इसलिए हमें भी इस कलियुग में इस ध्यान साधना से अपने स्वभाव में समय के मुताबिक परिवर्तन लाकर इस जीवन को सफल बनाना होगा. ‌‘कषाय मुक्ति ध्यान' के माध्यम से दीपक की ज्योति पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए क्रोध, मान, माया और लोभ को कम करते जाना है और अनुक्रम से खत्म करने की तरफ अग्रसर होना है ताकि हम अपने इस मनुष्य भव को सफल कर पाए. ‌‘प्रभु भक्ति ध्यान' के द्वारा सर्व मनुष्य को ध्यान... एक उत्सव के रुप में मनाकर अपने सर्व अशुभ कर्म को क्षय करते हुए जीवन के सर्व दुःख, दर्द, पीड़ा और उपाधि से मुक्त हो कर समाधि के अनुभव को प्राप्त करना है. - पू. जे. पी. गुरुदेव सुजय गार्डन जैन संघ, मुकुंदनगर, पुणे
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