पुणे, 15 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
केंद्रीय मंत्री और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने कहा कि उत्तर भारत में सहकारिता आंदोलन अपेक्षित सफलता नहीं प्राप्त कर सका, जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में सहकारी आंदोलन बड़े पैमाने पर सफल रहा. उन्होंने यह भी कहा कि उत्तम नेतृत्व, प्रामाणिक कार्य करने की प्रवृत्ति, वेिशसनीयता और भरोसेमंद कार्यशैली के कारण ही महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने सहकारी क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की.गड़करी ने यह विचार लोकमान्य मल्टीपर्पज को-ऑप सोसायटी के 30 वर्षों के अविस्मरणीय सफर के अवसर पर आयोजित स्नेह सम्मेलन में व्यक्त किया. सोसायटी अब अपने 31वें वर्ष में प्रवेश कर रही है. इस अवसर पर सोसायटी के संस्थापक-अध्यक्ष डॉ. किरण ठाकुर, उपाध्यक्ष अजित गरगट्टी, और संचालक प्रसाद ठाकुर, गजानन धामणेकर, पंढरी परब सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे. इस कार्यक्रम के दौरान लोकमान्य की 30 वर्षों की उपलब्धियों का आकलन करती हुई कॉफी टेबल बुक का भी प्रकाशन किया गया. सोसायटी के निवेशक और हितचिंतक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे. संपत्ति और सत्ता का विकेंद्रीकरण आवश्यक गड़करी ने कहा कि भारत को वेिश की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का सपना प्रधानमंत्री का है. लेकिन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच अंतर लगातार बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा कि 6065% आबादी शहरी क्षेत्रों में है और मुंबई, दिल्ली, पुणे और कोलकाता जैसे शहर अपनी सीमा क्षमता से अधिक बढ़ गए हैं. विकास का संतुलन बनाए रखने के लिए ग्रामीण क्षेत्र का विकास भी आवश्यक है. गड़करी ने यह भी कहा कि भाषा के आधार पर प्रांत रचना का प्रश्न अभी भी हल नहीं हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में कुछ जलसंधियों को हल किया गया है, लेकिन महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमावाद का मुद्दा अभी भी बाकी है. सोसायटी के संस्थापक डॉ. किरण ठाकुर ने प्रास्ताविक करते हुए कहा कि संकट के समय गड़करी हमेशा मदद के लिए आगे आए. चाहे हक्क भंग का मामला हो या संस्थागत अड़चनें, उनका नेतृत्व संकटमोचक रहा.
उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक ने स्वराज्य का मंत्र सबसे पहले बेलगांव में फैलाया और वे इसे विकसित कर स्वराज्य के सुदृढ़ शासन का मॉडल तैयार कर रहे हैं. डॉ. ठाकुर ने यह भी बताया कि कर्नाटक सरकार के कारण पुणे में मुख्यालय स्थानांतरण किया गया और अब ‘लोकमान्य’ केंद्रस्थली से कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि अब तक एक लाख लोगों को रोजगार प्रदान किया जा चुका है. इसके अलावा, मराठी संस्कृति को संरक्षित रखने का कार्य बेलगांव, कारवार और गोवा में किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले समय में लोकमान्य कल्चरल यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी. कार्यक्रम का संचालन राजेश दामले ने किया और विभागीय व्यवस्थापक सुशील जाधव ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया.