ध्यान रहे, रक्तदान करना नहीं हाेता है खतरनाक !

22 Sep 2025 16:07:44

blood 
रक्तदान के बारे में कुछ मुख्य बाताें काे देखें. सामान्यतः 18 से 55 वर्ष की उम्र के स्त्री या पुरुष अपना खून दान कर सकते हैं.उनका वजन 45 किलाेग्राम के ऊपर हाेना चाहिए. यानी स्वस्थ हाेना चाहिए. खून के जरिए फैलने वाली संक्रामक बीमारियाँ न उपस्थित हाें (जैसे एड्स, मलेरिया, हेपेटाइटिस आदि). इसके लिए कुछ परीक्षण करने पड़ते हैं. इस तरह एक स्वस्थ व्यक्ति तीन महीने में एक बार रक्तदान कर सकता है. चिकित्सा विज्ञानियाें ने बार-- बार जाेर देते हुए बताया कि खून देने से किसी भी तरह की कमजाेरी या बीमारी नहीं हाेती.एक बार में करीब 300 मिलीलीटर खून दान में दिया जा सकता है. हमारे शरीर में करीब 5 हजार 500 मिलीलीटर खून दाैड़ता है. जाे खून दान में दिया जाता है वह (यानी 300 मिलीलीटर) 36 घंटाें में ही बन जाता है. मनुष्य के खून काे 8 वर्गाें में वर्गीकृत किया जाता है.
 
ओ+, ए+, बी+, एबी+, ओ-, ए-, बी-, एबी-. जब राेगी काे खून दिया जाए ताे उसके खून का काेई विकल्प नहीं हाेता है, अगर किसी मरीज काे खून की आवश्यकता आ पड़े ताे खून के अलावा काेई अन्य दवा या द्रव से काम नहीं चलता. खून की क्षतिपूर्ति भी किसी अन्य व्यक्ति से ही की जा सकती है खून का परीक्षण करके उसके वर्ग का खून ही देना अनिवार्य है. गलत वर्ग का खून देने से बहुत बुरा अंजाम हाे सकता है. यहाँ तक कि मृत्यु भी हाे सकती है, लेकिन इसके दाे अपवाद हैं.ओ+ खून वाले व्यक्ति काे विश्वदानी कहते हैं. उसका खून किसी भी मरीज काे (चाहे उसका खून किसी भी ग्रुप का हाे) दिया जा सकता है.ध्यान रहे, रक्तदान करना नहीं हाेता है खतरनाक ! खबार जाेर देते हुए बताया कि खून देने से किसी भी तरह की कमजाेरी या बीमारी नहीं हाेती.
 
एक बार में करीब 300 मिलीलीटर खून दान में दिया जा सकता है. हमारे शरीर में करीब 5 हजार 500 मिलीलीटर खून दाैड़ता है. जाे खून दान में दिया जाता है वह (यानी 300 मिलीलीटर) 36 घंटाें में ही बन जाता है. मनुष्य के खून काे 8 वर्गाें में वर्गीकृत किया जाता है.
ओ+, ए+, बी+, एबी+, ओ-, ए-, बी-, एबी-. जब राेगी काे खून दिया जाए ताे उसके खून का काेई विकल्प नहीं हाेता है, अगर किसी मरीज काे खून की आवश्यकता आ पड़े ताे खून के अलावा काेई अन्य दवा या द्रव से काम नहीं चलता. खून की क्षतिपूर्ति भी किसी अन्य व्यक्ति से ही की जा सकती है खून का परीक्षण करके उसके वर्ग का खून ही देना अनिवार्य है. गलत वर्ग का खून देने से बहुत बुरा अंजाम हाे सकता है. यहाँ तक कि मृत्यु भी हाे सकती है, लेकिन इसके दाे अपवाद हैं.ओ+ खून वाले व्यक्ति काे विश्वदानी कहते हैं. उसका खून किसी भी मरीज काे (चाहे उसका खून किसी भी ग्रुप का हाे) दिया जा सकता है.
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