यशवंत सहकारी शुगर फैक्ट्री की जमीन खरीदने का निर्णय गलत !

24 Sep 2025 14:48:15

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पुणे, 23 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

यशवंत सहकारी शुगर फैक्ट्री की जमीन खरीदने का पुणे कृषि उत्पन्न बाजार समिति द्वारा लिया गया निर्णय समिति के हित में नहीं है और वह समिति को दिवालियापन की ओर ले जाने वाला है. शासन ने इस सौदे को शर्तों सहित मंजूरी दी है, लेकिन आर्थिक लेन-देन के बारे में समिति को कोई जानकारी नहीं दी गई्‌‍. इसके बावजूद भी मंगलवार (23 सितंबर) को होने वाली संचालक मंडल की बैठक में तुरंत करीब 90 करोड़ रुपये देने की हड़बड़ी शुरू है. यह सौदा बाजार समिति के लिए विनाशकारी साबित होगा, ऐसा आरोप फैक्ट इंडिया की ओर से लगाया गया है. थेऊर स्थित यशवंत सहकारी शुगर फैक्ट्री की लगभग 99.27 एकड़ जमीन 299 करोड़ रुपये में पुणे बाजार समिति के उपबाजार के लिए खरीदने को राज्य सरकार ने हाल ही में मंजूरी दी है. हालांकि, उच्च न्यायालय में दायर याचिका में दिए जाने वाले निर्णय के अधीन रहकर आगे कार्यवाही करनी होगी, ऐसा शासन निर्णय में उल्लेख किया गया था. मगर, विपणन संचालक की ओर से अब तक समिति को इस सौदे के लिए अनुमति नहीं मिली है. इसके बावजूद संचालक मंडल मंगलवार को होने वाली मासिक बैठक में यह निर्णय पक्का करने की तैयारी में है. लेकिन इस निर्णय से समिति की आर्थिक रीढ़ टूट जाएगी. इसलिए इस हड़बड़ी को रोकने की मांग फेडरेशन फॉर एग्रो, कॉमर्स एंड ट्रेड (फैक्ट) ने की है और फैक्ट के अध्यक्ष किशोर कुंजीर ने इस संदर्भ में विपणन संचालक को पत्र भी भेजा है. व्यापारी संचालकों ने आढ़तियों की पीठ में छुरा घोंपा संचालक मंडल के राष्ट्रवादी कांग्रेस के दो सदस्यों के हस्ताक्षर से समझौता होने वाला है, ऐसी जानकारी मिली है. अपने ही संचालकों ने व्यापार बढ़ाने के बजाय बाजार व्यवस्था को हमेशा के लिए खत्म करने की पहल की है, ऐसी आलोचना करते हुए फैक्ट अध्यक्ष किशोर कुंजीर ने कहा कि जिन्हें हमने चुना, वे संचालक आढ़तियों को अंधेरे में रखकर ऐसा कैसे कर सकते हैं? उन्होंने तो आढ़तियों की पीठ में छुरा घोंपा है. फैक्ट के आरोप विपणन संचालक और शुगर आयुक्त ने इस सौदे के लिए अनुमति नहीं दी है और मामला न्यायालय में लंबित है. फैक्ट्री की जमीन समिति के लिए व्यावसायिक दृष्टि से उपयोगी नहीं है. जमीन खरीदने के लिए समिति के पास पर्याप्त धन नहीं है. वार्षिक आय 100 करोड़ है लेकिन खर्च 110 करोड़ समिति के पास कर्ज लेने के अलावा कोई विकल्प नह्‌ीं‍. संबंधित जमीन वर्तमान में राज्य सहकारी बैंक के कब्जे में है, इसलिए फैक्ट्री को पैसा देना गलत है. समिति के विभिन्न कार्यों के लिए पहले से ही लगभग 300 करोड़ रुपये की कमी है और इसमें और 300 करोड़ का बोझ जुड़ जाएगा. जब समिति मुश्किल में फंसेगी, तो गुलटेकड़ी मार्केटयार्ड का व्यवसाय बंद हो जाएगा. यह सौदा अंत तक पूरा होने की संभावना नहीं है.  
 
बाजार समिति को अब तक जमीन खरीदने का पत्र नहीं मिला

हवेली के किसानों, मजदूरों के हित में यशवंत फैक्ट्री जमीन खरीदने के निर्णय को मेरा समर्थन है. शासन ने इसे शर्तों सहित मंजूरी दी है, लेकिन किसी भी शासकीय संस्था से बाजार समिति को अब तक जमीन खरीदने का पत्र नहीं मिला है. यह जमीन राज्य सहकारी बैंक के पास गिरवी है और बकाया कर्ज के कारण बैंक ने इसे जब्त किया है. फिलहाल जमीन का कब्जा बैंक के पास है और इस पर अन्य वित्तीय संस्थाओं के बंधन और अधिकार बने हुए हैं. इसलिए राज्य बैंक सहित सभी का नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना जशरी है. साथ ही, समिति के पास एकमुश्त 299 करोड़ रुपये उपलब्ध नहीं हैं. यह सौदा अधूरा अटक कर दोनों संस्थाओं को आर्थिक या अन्य नुकसान न हो, इसके लिए इन सभी बातों पर विचार करना जशरी है.
  - प्रशांत कालभोर, संचालक, बाजार समिति, पुणे  
 
 समिति के दो सदस्यों का व्यक्तिगत स्वार्थ

बाजार समिति के दो सदस्य व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए जमीन खरीद के बदले 90 करोड़ रुपये देने की जल्दबाजी कर रहे हैं और नियमों को ताक पर रख दिया है. इस सौदे से जब समिति दिवालियापन की ओर जाएगी, तो मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विपणन मंत्री चुप रहेंगे या छुपा समर्थन देंगे? इसमें दोनों संचालक मंडल की कानूनी जिम्मेदारी व्यक्तिगत होगी, इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए. - विकास लवांडे, अध्यक्ष, यशवंत बचाव किसान संघर्ष समिति
 
 
 
 
 
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