पुणे, 24 सितंबर (आ.प्र.) यशवंत सहकारी चीनी मिल की जमीन खरीदने से पहले संबंधित सभी वित्तीय संस्थाओं की देनदारी, बकाया, माप, जमीन का करजा आदि सभी कानूनी पहलुओं की जांच की जानी चाहिए. उसके बाद ही जमीन खरीद का निर्णय लिया जाना चाहिए, ऐसा कुछ निदेशकों ने मासिक बैठक में सीधे तौर पर स्पष्ट किया. इसी कारण तत्काल लगभग 90 करोड़ रुपये का चेक देने पर फिलहाल रोक लग गई है. थेऊर स्थित यशवंत सहकारी चीनी मिल की लगभग 99.27 एकड़ जमीन को 299 करोड़ रुपये में पुणे बाजार समिति के उपबाजार के लिए खरीदने को राज्य सरकार ने हाल ही में मंजूरी दी है. उच्च न्यायालय में दाखिल रिट याचिका के निर्णय के अधीन रहकर आगे की कार्यवाही करनी होगी, यह भी शासन निर्णय में उल्लेखित किया गया था. लेकिन, विपणन निदेशक की ओर से समिति को अभी तक इस लेन-देन के लिए कोई औपचारिक अनुमति नहीं दी गई है. ऐसे में निदेशक मंडल द्वारा चेक जारी करने का निर्णय लेने की तैयारी की जा रही है, इस आरोप के साथ फेडरेशन फॉर एग्रो, कॉमर्स एंड ट्रेड ने इस सौदे को रोकने की मांग की थी. बाजार समिति के पूर्व सभापति व निदेशक दिलीप कलभोर, रोहिदास उंद्रे, प्रशांत कळभोर सहित अन्य निदेशकों ने इस जमीन खरीद-फरोख्त का विरोध नहीं किया. लेकिन दोनों संस्थाओं के हित को ध्यान में रखते हुए नियम और कानूनी बिंदुओं की ओर ध्यान दिलाया. शासन ने यशवंत जमीन की खरीद-बिक्री को मंजूरी दी है, लेकिन जमीन पर वित्तीय संस्थाओं का करजा होने से यह पेच खड़ा हुआ है कि राशि कहां जमा की जाए्. इस पर स्पष्टता आना जशरी है. इस संदर्भ में समिति के वकील के साथ-साथ सरकारी वकील की सलाह भी ली जानी चाहिए. आवश्यकता पड़ने पर समझौता कर आपत्तियां दर्ज की जानी चाहिए और उसकी सार्वजनिक सूचना जारी की जानी चाहिए. सभी बातें कानून में फिट बैठें, तभी सौदा किया जाए ऐसी भूमिका बैठक में रखी गई.
सरकार की मंजूरी के अनुसार निधि उपलब्ध कराकर डेढ़ वर्ष में सौदा पूरा करने का निर्णय बैठक में लिया जमीन खरीद को सरकार ने मंजूरी दी है. उसी अनुसार निधि उपलब्ध कराकर डेढ़ वर्ष में सौदा पूरा करने का निर्णय आज की बैठक में लिया गया. सातबारा पर दर्ज सभी देनदारियाँ चुकाने के बाद, सरकारी नाप से जमीन का करजा लेकर जितनी जमीन होगी उतने ही पैसे दिए जाएंगे. इस संबंध में सभी कानूनी पहलुओं की पूर्ति करके ही खरीद ख़त (सेल डीड) किया जाएगा.
- प्रकाश जगताप, सभापति, बाजार समिति, पुणे