महिलाओं की जॉब और परिवार संतुलन की अनूठी मिसाल

28 Sep 2025 15:16:10


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पुणे, 27 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
आज की महिलाएं घर, परिवार और प्रोफेशन को एक साथ संतुलित करते हुए अपने सपनों को भी पूरा कर रही हैं. कुछ महिलाएं अपने पेशेवर करियर के साथ हॉबी और ट्रैकिंग जैसी गतिविधियों में समय बिताती हैं, तो कुछ अपने पति के बिजनेस और फैमिली का सहयोग कर आर्थिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाती हैं. चाहे यह चार्टर्ड अकाउंटेंसी हो, मेडिकल या इंडस्ट्रियल बिजनेस, टीचिंग और एंकरिंग, या पारंपरिक फैमिली बिजनेस में योगदान हर महिला ने अपनी मेहनत, लगन और समय प्रबंधन से सफलता की मिसाल पेश की है. इन महिलाओं से दै.आज का आनंद के लिए प्रो.रेणु अग्रवाल ने बातचीत की तो बात सामने आई कि महिलाओं के पास न केवल कार्यकुशलता और प्रतिभा है, बल्कि परिवार और समाज में योगदान देने की अद्भुत क्षमता भी है. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंशः - प्रो. रेणु अग्रवाल (मो. 8830670849)
हॉबी को भी थोड़ा वक्त देना चाहिए
मैं चार्टर्ड अकाउंटेंट हूं और 1998 से सीए की प्रैक्टिस कर रही हूं. लेकिन पिछले दो सालों से मैंने ट्रैकिंग का काम भी शुरू किया है. बचपन से ही मुझे पढ़ाई के साथ जिम्नास्टिक, योग और अलग-अलग स्पोर्ट्स खेलना पसंद था. मुझे पहाड़ों पर ट्रैकिंग करना भी पसंद है, इसलिए जब भी हमें वक्त मिलता है, तब हम ट्रैकिंग पर चले जाते हैं. धीरे-धीरे मैंने ट्रैकिंग के बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठा की और फिर पुणे यूनिवर्सिटी से ट्रैकिंग में डिप्लोमा कोर्स किया. अब मैं सीए प्रैक्टिस के साथ-साथ अलग-अलग ग्रुप ट्रैकिंग पर भी लेकर जाती हूं. मेरा सभी महिलाओं से यही कहना है कि हमें हमारी हॉबी कभी नहीं छोड़नी चाहिए. घर, परिवार और प्रोफेशन के साथ अपनी हॉबी को भी थोड़ा वक्त देने से हम सदैव खुश रहते हैं. हमें प्रोफेशन और घर संभालने के लिए कुछ मैनेजमेंट स्किल और पोलाइटनेस की जरूरत होती है. -पूजा राजेंद्र गुप्ता, पिंपरी
 

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अपने समय का सही इस्तेमाल करना चाहिए
शादी से पहले मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं भी घर-परिवार के साथ बिजनेस संभाल सकती हूँ. शादी के बाद जब मैंने देखा कि मेरे हसबैंड क्लीनिक पर सुबह जाते हैं और देर रात को घर आते हैं, उनकी मेहनत देखकर मैंने सोचा कि मुझे भी उन्हें मदद करनी चाहिए. इसी सोच से मैंने पति के साथ उनके क्लिनिक और मेडिकल में जाना शुरू किया. मेरे पति डॉक्टर और फिजीशियन हैं और हमारा मेडिकल शॉप भी है. 10 साल से मैं उनके बिजनेस में हाथ बंटाती हूं और घरपि रवार भी संभालती हूं. मुझे तीन बच्चे हैं दो बेटियाँ और एक बेटा. मुझे लगता है कि आज की महिलाएं किसी भी बात में पीछे नहीं हैं. अगर वे चाहें तो घर के साथ बिजनेस भी कर सकती हैं, बस उन्हें अपने समय का सही इस्तेमाल करना चाहिए. -विनीता अमित अग्रवाल, उज्जैन (मध्य प्रदेश) 
 

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मेहनत के साथ डेडिकेशन और पेशंस जरूरी
अगर आपको बाहर लोगों से मिलना, बातें करना और नई-नई चीजें सीखना पसंद है, तो आपके लिए अलग-अलग इवेंट में एंकरिंग करना सबसे अच्छा प्रोफेशन है. मैं धुलिया से हूँ, और फिर पुणे में सेटल हो गई. शादी के बाद पहले मैं स्कूल में टीचर थी, लेकिन टीचिंग का टाइम मैनेज करना बाद में मुश्किल होने लगा, इसलिए मैंने घर पर ही फोनिक्स और हिंदी, मराठी की क्लास लेना शुरू कर दिया. टीचिंग मैं पिछले 17 साल से कर रही हूं. उसी के साथ मैं अलग-अलग कॉरपोरेट और कल्चरल इवेंट में एंकरिंग भी करती हूं. मैं प्रोग्राम होस्ट के मुताबिक कस्टमाइज करती हूँ. मैंने अब तक शिर्डी, धुलिया, शाहपुर, मुंबई और अन्य कई जगहों पर प्रोग्राम किए हैं. एंकरिंग करने के लिए मेहनत के साथ-साथ आपका डेडिकेशन और पेशंस भी जरूरी है. महिलाओं को कहना चाहूँगी कि जो काम पसंद है, वही काम अगर आपका प्रोफेशन बन जाए तो काम करना और भी अच्छा लगता है. इसलिए हमें हमेशा अपने पसंद के काम को पूरी लगन से करना चाहिए. - टीना अग्रवाल, पिंपले सौदागर
 
 

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फैमिली बिजनेस में हाथ बंटाना अच्छी बात
मेरे पिताजी का गोवा में स्टील का बिजनेस है. वहां मैं शादी से पहले अकाउंटिंग का काम करती थी. 2009 में मेरी शादी हो गई. शादी के बाद एक नॉर्मल हाउसवाइफ की तरह ही मेरी जिंदगी चल रही थी. उस समय हम सब जॉइंट फैमिली में पहले आपटे कॉलोनी भोसरी और फिर औंध एरिया में रहते थे. लेकिन अब पिछले 3 साल से मैं हसबैंड के फैमिली बिजनेस में अकाउंटिंग का काम कर रही हूं. हमारे घर में सास-ससुर, मेरे दो बेटे और हम दोनों पति-पत्नी रहते हैं. फैमिली का सपोर्ट हमेशा से ही रहता है, इसलिए मैं अब ऑफिस में जाकर अकाउंटिंग देख सकती हूं. हमारा कैमरॉन ग्रुप के नाम से इंडस्ट्रियल शेड बनाना और लैंड डीलिंग का काम है. हमारा ज्यादातर काम चाकण एरिया में है, लेकिन मैं भोसरी एमआईडीसी ऑफिस में ही जाती हूं. मेरा सभी महिलाओं से यही कहना है कि फैमिली सभी के लिए जरूरी है, लेकिन उसके साथ-साथ अगर हम अपने फैमिली बिजनेस में भी सपोर्ट करें, तो यह सबसे अच्छी बात है. - वर्षा सुमित अग्रवाल, पार्क स्ट्रीट, वाकड
 
  
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 हर काम में मेहनत, लगन और ईमानदारी जरूरी
हमारी एम.एस.जी.ऑटो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी मेरे हसबैंड ने 1974 में शुरू की थी. हम अलग-अलग कंपनी तथा मार्केट में टूल किट सप्लाई का बिजनेस करते हैं. टूल किट का प्रोडक्शन हमारी कंपनी ही करती है.कंपनी की स्थापना के उस वक्त मेरे पति बजाज ऑटो कंपनी में जॉब भी करते थे. जॉब करते-करते उन्होंने कंपनी की शुरुआत की. 1975 में जब मेरी शादी हुई, उस वक्त मेरी उम्र 16 साल की थी और मेरे हसबैंड 22 साल के थे. जॉब और बिजनेस दोनों की जिम्मेदारी उन पर थी, तो मैंने बिजनेस संभालना शुरू किया. लगभग 40 साल यह बिजनेस मैंने अकेले संभाला है. हसबैंड और बेटी का सपोर्ट भी रहता है. मुझे एक बेटी है, जिसकी शादी हो गई है. हमारे बिजनेस में सबसे ज्यादा प्रॉब्लम लेबर की होती है.हर बिजनेस की तरह इस बिजनेस में बड़ी मेहनत और लगन की जरूरत होती है. जो भी ईमानदारी से मेहनत करता है, उसे सफलता जरूर मिलती है. -मीनल श्रीनारायण जाजोदिया, प्राधिकरण  
 
 
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